एम सी डी (मोस्ट करप्ट डिपार्टमेंट) के बाद, पी डब्लू डी (पर्सनल वेलफेअर डिपार्टमेंट )

एम सी डी (मोस्ट करप्ट डिपार्टमेंट) के बाद, पी डब्लू डी (पर्सनल वेलफेअर डिपार्टमेंट )
सरकार को चूना लगाने मे पी डब्लू डी के कुछ अधिकारी भी पीछे नहीं है आए दिन अखबार मे टीवी पर ये देखने को मिलता ही है, उदाहरण आये दिन हर जगह रोड खुदी पड़ी रहती है सरकारी विभाग आपस मे तालमेल नहीं रखते, क्योकि अपने ठेकेदार से काम करवाकर हिस्सा लेकर खुद भी तो पैसा कमाना है, जिससे सरकार का लाखो का नुकसान भी होता है

डॉक्टर से भी तारीक पे तारीक.. तारीक पे तारीक

डॉक्टर से भी तारीक पे तारीक तारीक पे तारीक
मे मोलाना आजाद मेडिकल डेंटल हॉस्पिटल गया एक दात बदलवाने दो साल बाद लैटर आया दात बदलने के लिए, और अब फिर दात तो लगा नहीं सफाई के लिए मिली तारीक पे तारीक , वहा देखा तो सभी को जरा से काम के लिए भी मिलती है सिर्फ तरीक आपसब जानते क्यों है नहीं ना क्योकि सरकार के साथ प्राइवेट हॉस्पिटल भी मिलकर काम कर रहे है उनको मरीज का इलाज नहीं करना उनको तो सिर्फ रेगिस्टर मे सिर्फ एंट्री करनी है और यह दिखाना है की हम डेली कितने मरीज देखते है सिर्फ एंट्री, ऐसे ही जयादातर सभी होस्पिटल मे यही हाल होता है लोग नजाने कहा कहा से अपने मरीज का इलाज कराने Delhi आते है पर उनको भी बस मिलती है तो तारीक.....

रोक सको तो रोक लो ....



जयादातर 8 से 10 तक के सभी बच्चे मोटर साइकिल पर ही स्कूल जाते है और कानून का मजाक उड़ाते है इसमें स्कूल वालो के साथ साथ उनके घर वाले भी उनको मोटर साइकिल दिलाकर उनका साथ देते है जो की खतरनाक है, पुलिश भी कुछ नहीं करती क्योकि या तो वो इनके रिस्तेदार होते है या कोई अफसर के या किसी नेता के रिश्तेदार होते है कुछ बच्चे दोस्तों को घुमाते है मोजमस्ती करते है क्या इनके माँ बाप ने कभी सोचा है की इन सब का और पेत्रोइल का खर्चा कहा से आता है कही आप crime को को बढ़ावा तो नहीं दे रहे, क्योकि चैन स्नाचिंग, चोरी, इत्यादी मे स्कूल के बच्चो का नाम भी आता है, जोकि आपके लिए और समाज के लिए खतरनाक है, ज़रा सोचिए.........