क्या यह अन्धा कानून है ....??

एक केस में मैंने देखा की सादी के बाद लड़की के ससुराल याले उसे कितना भी परेसान करे, और लड़की के घर वाले कितनी भी कम्पलेन करे पुलिश कुछ नहीं करती, जबतक लड़की खुद कम्पलेन न करे या कोई बड़ा हादसा न हो जाये, लड़की चुप चाप यह सब इसलिए सहती है की अगर उसने कुछ कहा तो उसका पति उसे छोड  देगा, तब, कोई भी उसका साथ कब तक देगा, अय्से  ही  उसकी सारी ज़िन्दगी बीत जाती है .. पर ना तो उसे इन्साफ मिलता है और न ही प्यार....

35 comments:

ज्योति सिंह said...

bilkul satya ,samajik bandhan aese hi nibhaye jaate hai .

दिनेशराय द्विवेदी said...

भैया,
शायद आप ने घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम को नहीं देखा। इस अधिनियम में महिला के किसी भी रिश्तेदार यहाँ तक कि मुहल्ले वाले भी सीधे अदालत में शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

किलर झपाटा said...

लड़कियाँ लड़ती ही क्यों हैं ? प्यार से सब सैटल नहीं कर सकतीं ?
कानून नहीं, पब्लिक और उसकी महत्वाकांक्षाएँ अंधी हैं। एम आय राँग ?

डॉ. मोनिका शर्मा said...

दुखद है पर सच है ...ऐसा बहुत से मामलों में होता है...

दिनेशराय द्विवेदी said...

भाई!
आप ने घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम नहीं देखा। उस के अंतर्गत पीड़ित महिला के संबंधी या पड़ौसी भी सीधे न्यायालय को शिकायत कर सकते हैं। आप इस का उपयोग कर सकते हैं।

Sushil Bakliwal said...

जागरुक रखने वाला जायज प्रश्न. उत्तर शायद लडकियों की आत्म-निर्भरता में ही है ।

कृपया टाईपिंग की अशुद्धियां कम करने का प्रयास करें । धन्यवाद...

Manoj Kumar said...

अँधा तो नहीं. हाँ, कानून क़ी आँखों पर जो पट्टी बंधी होती है...इससे शायद दिखाई नहीं देती !

udaya veer singh said...

jivan ki vishamtaon ko samaj ki kuchh vkritiyon ne aur visham bana diya hai ,jisako nirmul karana hoga ,aapke prayas se ham sabke prayas se /.vicharniy vishay . aabhar ji.

Dr (Miss) Sharad Singh said...

लड़कियों में जागरूकता जरूरी है...
उम्दा पोस्ट।

Dr Varsha Singh said...

बहुत अच्छा मुद्दा उठाया आपने -------

शूरवीर रावत said...

इस विषय के साथ प्रस्तुति के लिए आभार ........ शुभकामनायें.

G.N.SHAW said...

सभी दाल पकाए ...पर नमक के संयोजन का भरपूर ख़याल रखें !

संजय भास्‍कर said...

लड़कियों में जागरूकता जरूरी है...

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक said...

आपने बिलकुल सही लिखा मगर एक सभ्य लड़की को अपनी शिकायत में उतना ही लिखना चाहिए जितना उसके साथ अन्याय हो रहा हो, ऐसा न हो कि-किसी के वह्काने और सिखा देने से अपनी शिकायत में घटिया मानसिकता का परिचय देते हुए अपना और किसी दूसरे का जीवन संकटमय बनाकर अपने लिए घर के दरवाजे स्वंय अपने हाथों से बंद न लें या अपने रिश्तों के बीच इतनी दूरी हो जाए . फिर किसी भी मोड़ पर मिलना संभव ही न हो. आज मैं अपनी सुसराल वालों की हद से ज्यादा दखलंदाजी के कारण ही आज अनेकों फर्जी केसों के कारण अपनी जिदंगी के आखिरी साँस गिन रहा हूँ. आप मेरे ब्लोगों का अवलोकन करके मेरी कुछ पीड़ा को देख सकते हैं. अगर समय हो तो आप "सच का सामना" ब्लॉग पर कल की पोस्ट देख सकते हैं. हमारे देश में किसी भी महिला द्वारा दर्ज करवाए फर्जी वैवाहिक केसों(असली पीड़ित को जल्दी इन्साफ ही नहीं मिल पाता है) में भी पुलिस, वकीलों और जजों की महिला "दया" की पात्र रहती है. चाहे आप कितने ही सच्चे हो और महिला कितनी बड़ी झूठी क्यों न हो?

बवाल said...

आपने ज्वलंत मुद्धा उठाया। वाक़ई जागरूकता की ज़रूरत है समाज में।

Patali-The-Village said...

जागरुक रखने वाला जायज प्रश्न|

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

मुद्दा तो बहुत अच्छा है लेकिन इस्पे आगे भी बात की जा सकती है, क्या कहते हैं?

हल्ला बोल said...

-------- यदि आप भारत माँ के सच्चे सपूत है. धर्म का पालन करने वाले हिन्दू हैं तो
आईये " हल्ला बोल" के समर्थक बनकर धर्म और देश की आवाज़ बुलंद कीजिये...
अपने लेख को हिन्दुओ की आवाज़ बनायें.
इस ब्लॉग के लेखक बनने के लिए. हमें इ-मेल करें.
हमारा पता है.... hindukiawaz@gmail.com
समय मिले तो इस पोस्ट को देखकर अपने विचार अवश्य दे
देशभक्त हिन्दू ब्लोगरो का पहला साझा मंच
क्या यही सिखाता है इस्लाम...? क्या यही है इस्लाम धर्म

Kavita Prasad said...

Jagrook tu aajkal sabhi ladkiyan hi hoti hain, parantu awaz uthane ke liye unhain samaj aur kanoon ka samarthan bhi chahiye.

OM KASHYAP said...

namaskar ji
blog par kafi dino se nahi aa paya mafi chahata hoon

पूनम श्रीवास्तव said...

aapki baat bilkul sahi hai.
par kuchh ladkiyan chahe kitna bhi atyachar sahti hain par munhkholne me darti hai .aur vo to aur bhi jyada darti hain jo paise wali parivaar ki nahi haoti .kyon ki vah apne mayke ki haalat ko samjhte hue sab dard sahan karne ko majbur hoti hain.kuchh mmayke ki badnami na hone paaye is vajah se kuchh nahi kahti .
jabki aaj unki suraxha ke liye itne kadam uthaye gayen hai jo unhe sahi tareeke se jeene ka adhikar dila sake.
lekin jhoothe aaropo se nahi sahi sahi baat ko samne rakh kar .tabhi dono paxho ke saath nyay ho sakega .
bas jaroorat hai unhe apne adhikaro ko paane ke liye himmat ki .aur khud ko swavlambi bananae ki .
bhaut hi sateek lekh
dhanyvaad
poonam

Vivek Jain said...

साहब कानून नहीं समाज अंधा है तभी तो लड़की सहती है!
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

आकाश सिंह said...

ये वर्दी वाले गुंडे पता नहीं कब सुधरेंगे |
सही प्रस्तुति के लिए धन्यवाद |

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक said...

दोस्तों, क्या सबसे बकवास पोस्ट पर टिप्पणी करोंगे. मत करना,वरना.........
भारत देश के किसी थाने में आपके खिलाफ फर्जी देशद्रोह या किसी अन्य धारा के तहत केस दर्ज हो जायेगा. क्या कहा आपको डर नहीं लगता? फिर दिखाओ सब अपनी-अपनी हिम्मत का नमूना और यह रहा उसका लिंक प्यार करने वाले जीते हैं शान से, मरते हैं शान से (http://sach-ka-saamana.blogspot.com/2011/04/blog-post_29.html )

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

बिलकुल सही लिखा है आपने ...

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक said...

श्रीमान जी,मैंने अपने अनुभवों के आधार ""आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें"" हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है. मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग www.rksirfiraa.blogspot.com पर टिप्पणी करने एक बार जरुर आयेंगे.ऐसा मेरा विश्वास है.

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक said...

श्रीमान जी, क्या आप हिंदी से प्रेम करते हैं? तब एक बार जरुर आये. मैंने अपने अनुभवों के आधार ""आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें"" हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है. मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग www.rksirfiraa.blogspot.com पर टिप्पणी करने एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.

श्रीमान जी, हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु सुझाव :-आप भी अपने ब्लोगों पर "अपने ब्लॉग में हिंदी में लिखने वाला विजेट" लगाए. मैंने भी कल ही लगाये है. इससे हिंदी प्रेमियों को सुविधा और लाभ होगा.

SANDEEP PANWAR said...

इस देश का कानून बडा बेकार है जो सीधे लोग सच में तंग होते है वो कुछ नहीं कहते और जो नखरे वाले होते है वो पैसा बनाने के लिये कोर्ट चले जाते है ज्यादा पैसा जो मिलता है समझौते में।

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक said...

क्या ब्लॉगर मेरी थोड़ी मदद कर सकते हैं अगर मुझे थोडा-सा साथ(धर्म और जाति से ऊपर उठकर"इंसानियत" के फर्ज के चलते ब्लॉगर भाइयों का ही)और तकनीकी जानकारी मिल जाए तो मैं इन भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करने के साथ ही अपने प्राणों की आहुति देने को भी तैयार हूँ. आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक said...

क्या ब्लॉगर मेरी थोड़ी मदद कर सकते हैं अगर मुझे थोडा-सा साथ(धर्म और जाति से ऊपर उठकर"इंसानियत" के फर्ज के चलते ब्लॉगर भाइयों का ही)और तकनीकी जानकारी मिल जाए तो मैं इन भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करने के साथ ही अपने प्राणों की आहुति देने को भी तैयार हूँ. आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें

अगर आप चाहे तो मेरे इस संकल्प को पूरा करने में अपना सहयोग कर सकते हैं. आप द्वारा दी दो आँखों से दो व्यक्तियों को रोशनी मिलती हैं. क्या आप किन्ही दो व्यक्तियों को रोशनी देना चाहेंगे? नेत्रदान आप करें और दूसरों को भी प्रेरित करें क्या है आपकी नेत्रदान पर विचारधारा?

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक said...

प्रिय दोस्तों! क्षमा करें.कुछ निजी कारणों से आपकी पोस्ट/सारी पोस्टों का पढने का फ़िलहाल समय नहीं हैं,क्योंकि 20 मई से मेरी तपस्या शुरू हो रही है.तब कुछ समय मिला तो आपकी पोस्ट जरुर पढूंगा.फ़िलहाल आपके पास समय हो तो नीचे भेजे लिंकों को पढ़कर मेरी विचारधारा समझने की कोशिश करें.
दोस्तों,क्या सबसे बकवास पोस्ट पर टिप्पणी करोंगे. मत करना,वरना......... भारत देश के किसी थाने में आपके खिलाफ फर्जी देशद्रोह या किसी अन्य धारा के तहत केस दर्ज हो जायेगा. क्या कहा आपको डर नहीं लगता? फिर दिखाओ सब अपनी-अपनी हिम्मत का नमूना और यह रहा उसका लिंक प्यार करने वाले जीते हैं शान से, मरते हैं शान से
श्रीमान जी, हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु सुझाव :-आप भी अपने ब्लोगों पर "अपने ब्लॉग में हिंदी में लिखने वाला विजेट" लगाए. मैंने भी लगाये है.इससे हिंदी प्रेमियों को सुविधा और लाभ होगा.क्या आप हिंदी से प्रेम करते हैं? तब एक बार जरुर आये. मैंने अपने अनुभवों के आधार आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है.मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.
क्या ब्लॉगर मेरी थोड़ी मदद कर सकते हैं अगर मुझे थोडा-सा साथ(धर्म और जाति से ऊपर उठकर"इंसानियत" के फर्ज के चलते ब्लॉगर भाइयों का ही)और तकनीकी जानकारी मिल जाए तो मैं इन भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करने के साथ ही अपने प्राणों की आहुति देने को भी तैयार हूँ.
अगर आप चाहे तो मेरे इस संकल्प को पूरा करने में अपना सहयोग कर सकते हैं. आप द्वारा दी दो आँखों से दो व्यक्तियों को रोशनी मिलती हैं. क्या आप किन्ही दो व्यक्तियों को रोशनी देना चाहेंगे? नेत्रदान आप करें और दूसरों को भी प्रेरित करें क्या है आपकी नेत्रदान पर विचारधारा?
यह टी.आर.पी जो संस्थाएं तय करती हैं, वे उन्हीं व्यावसायिक घरानों के दिमाग की उपज हैं. जो प्रत्यक्ष तौर पर मनुष्य का शोषण करती हैं. इस लिहाज से टी.वी. चैनल भी परोक्ष रूप से जनता के शोषण के हथियार हैं, वैसे ही जैसे ज्यादातर बड़े अखबार. ये प्रसार माध्यम हैं जो विकृत होकर कंपनियों और रसूखवाले लोगों की गतिविधियों को समाचार बनाकर परोस रहे हैं.? कोशिश करें-तब ब्लाग भी "मीडिया" बन सकता है क्या है आपकी विचारधारा?

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक said...

पति द्वारा क्रूरता की धारा 498A में संशोधन हेतु सुझावअपने अनुभवों से तैयार पति के नातेदारों द्वारा क्रूरता के विषय में दंड संबंधी भा.दं.संहिता की धारा 498A में संशोधन हेतु सुझाव विधि आयोग में भेज रहा हूँ.जिसने भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए के दुरुपयोग और उसे रोके जाने और प्रभावी बनाए जाने के लिए सुझाव आमंत्रित किए गए हैं. अगर आपने भी अपने आस-पास देखा हो या आप या आपने अपने किसी रिश्तेदार को महिलाओं के हितों में बनाये कानूनों के दुरूपयोग पर परेशान देखकर कोई मन में इन कानून लेकर बदलाव हेतु कोई सुझाव आया हो तब आप भी बताये.

वीना श्रीवास्तव said...

सच कहा है....

Anonymous said...

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Anonymous said...

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