आमदनी अठन्नी खर्चा रुपय्या, बच्चो ज़रा पूछो तो अपने पापा से

एक अधरिकारी जो हर महीने 15000 कमाता है लेकिन खर्च 30000 करता है क्यों, उदाहरण अधिकारी के !- किचन का खर्च आठ हज़ार + बच्चो के स्कूल सात हज़ार + कपडे तीन हज़ार + खुद का खर्च सात हज़ार + इत्यादि पांच हज़ार = तीस हज़ार 30000 यह तो बोहोत कम है और खर्चे तो जोड़े ही नहीं, पूछो तो ज़रा ????
आमदनी अठन्नी खर्चा रुपय्या, बच्चो ज़रा पूछो तो अपने पापा से , ज़यादातर सभी बईमान है ......अरे उपर वाले इस देश का क्या होगा ??

आम आदमी के खाने के लाले यहाँ सो करोड़ बर्बाद

C P W D मैंटीनेन्स पूरा विभाग सिर्फ M P's के लिए कार्य करता है सो करोड रूपये एक साल मे इनके फ्लैट और बंगलो की मैंटीनेन्स पर हि खर्च किये जाते है जो की आम जनता का पैसा है, याहा एक आम आदमी के खाने के लिए पैसा नहीं है और इनपर करोड़ो रूपये बर्बाद करते है इसके बहाने अधिकारी भी खूब कमाते है

CWG ( कॉमनवेल्थ गेम) का मतलब कमाओ और गायब करो

CWG( कॉमनवेल्थ गेम) का मतलब कमाओ और गायब करो ( हमारे पैसो का दुरपयोग )
कॉमनवेल्थ गेम के नाम पर सभी विभाग अधिकारी और नेता खूब कमा रहें है, उदाहरण -( १) लो फ्लोर बसों की कीमत तकरीबन पचास लाख है और डी टी सी की ग्रीन लाइन बस बसों की कीमत तक़रीबन बीस लाख है, टाटा कम्पनी से साठ-गाठ करके लो फ्लोर बसों को लाया गया है जबकि इसमें बोहोत सारी कमिया है ( २) बिजली कम्पनी और उसके मीटर -मीटर बनाने वाली कम्पनी के पार्टनर खुद नेता ही है ( ३) ठेकेदारी मे टेंडर ऑनलाइन डालना चालू कराना दिल्ली मे तक़रीबन तीन लाख ठेकेदार है उनसे हेर साल दस हजार रूपये ऑनलाइन टेंडर डालने की लिये लिएजाते है तक़रीबन तीन अरब रूपये की कमाई जिसके पार्टनर भी नेता ही है ( ४) बड़ी बड़ी कंपनियों को बोहोत उचे रेटो पर काम देकर खूब नोट कमाना इसके भी पार्टनर नेता ही है इत्यादि .......

डी टी सी, ड्राईवर और कंडेक्टर की उपर की कमाई

ज़ी टी वी और दिल्ली वार्ता (हिंदी मैगजीन) ने स्टिंग ओप्रेसन में ये दिखाया था की, डी टी सी, ड्राईवर ब्लूलाइन बस वालो से पैसे लेकर अपनी बस को धीरे चलाएंगे और ब्लूलाइन से पीछे रहेंगे! क्या कोई सोच सकता है की क्र्प्सन यहाँ पर भी है ?

एम सी डी (मोस्ट करप्ट डिपार्टमेंट) के बाद, पी डब्लू डी (पर्सनल वेलफेअर डिपार्टमेंट )

सरकार को चूना लगाने मे पी डब्लू डी के कुछ अधिकारी भी पीछे नहीं है आए दिन अखबार मे टीवी पर ये देखने को मिलता ही है, उदाहरण आये दिन हर जगह रोड खुदी पड़ी रहती है सरकारी विभाग आपस मे तालमेल नहीं रखते, क्योकि अपने ठेकेदार से काम करवाकर हिस्सा लेकर खुद भी तो पैसा कमाना है, जिससे सरकार का लाखो का नुकसान भी होता है

इमानदार होना ही काफी नहीं

पूरे देश मैं कोई भी सच्चा नागरिक नहीं है 'उदाहरण अगर एक विभाग का एक छोटा सा पीओन भी अगर इमानदार हो तो पूरा ऑफिस इमानदार होता, क्योकि खुद इमानदार होने से ही काम नहीं चलता दूसरो को भी इमानदारी से काम कराना ही सही इमानदारी है