आज ज़रुरत है जागने की, भ्रष्टाचार को मिटाने की....

..ज़रुरत है जागने की, भ्रष्टाचार को मिटाने की ..... सरकारी हॉस्पिटल मे मरीजो के लिए जो खाना आता है वो सारा मरीजो को नहीं मिलता, मिलता है तो वो वहां वार्ड मे खाना लाने वाले कर्मचारियों को. मरीजो को केवल आधा ही मिलता है और बाकि स्टाफ के लोग खुद ही खा लेते है. यही नहीं खाना बचाकर वह अपने घर बांध कर ले जाते है. मरीजो के लिए को जो दूध दिया जाता है, वो भी बचाकर अपने घर ले जाते है. और कैंटीन मे काम करने वालो का तो क्या कहना अपने घर का आधा राशन तो वो लोग कैंटीन से ही ले जाते है. कोई देखने वाला नहीं है, मरीजो और उनके मिलने आने वालो को रोकने के लिए तो गार्ड लगा रखें है, परन्तु इस चोरी को रोकने के लिए कोई भी नहीं....

आज ज़रुरत है जागने की, भ्रष्टाचार को मिटाने की....

सारा सच ---- खुद इमानदार होना ही काफी नहीं....

सारा सच ---- खुद इमानदार होना ही काफी नहीं....
पूरे देश मैं नेता से लेकर सरकारी अधिकारी तक ज़्यादातर कोई भी इमानदार नहीं है 'उदाहरण अगर एक विभाग का एक छोटा सा पीओन भी अगर इमानदार हो तो पूरा ऑफिस इमानदार होता, क्योकि खुद इमानदार होने से ही काम नहीं चलता दूसरो को भी इमानदारी से काम कराना ही सही इमानदारी है ..